श्रीमती अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय
जन्म तथा शिक्षा
जाति धर्म के बंधनों की परवाह न करने वाली, निर्भीक, आजादी के लिए कड़े से कड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने वाली भारतीय बीरांगना अरूणा गांगुली का जन्म तत्कालीन पाकिस्तान की पंजाब रियासत के शहर कालका में दिनांक 16 जुलाई, 1909 को एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अरूणा गांगुली का परिवार एक संभ्रान्त परिवार था। पैसे की कोई कमी नहीं थी।
श्रीमती अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय |
जिन दिनों अरूणा का जन्म हुआ, हमारे देश में स्त्रियों को शिक्षा से मशरूख रखा जाता था। घर की चाहरदीवारी से बाहर कदम रखना स्त्रियों के लिए मना था। इन विपरीत परिस्थितियों में भी आपके पिता ने अरूणा का दाखिला लाहौर के एक कान्वेंट स्कूल में करा दिया यहाँ से अरूणा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की।
प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के उपरान्त आपके पिता ने माध्यमिक शिक्षा के लिए आपका दाखिला नैनीताल के आवासीय प्रोटेस्टेंट विद्यालय में करा दिया। वहाँ आप अपनी बहिन पूर्णिमा गांगुली के साथ रहती थीं। पूर्णिमा गांगुली इसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहीं थीं। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद आपने कुछ समय के लिए कलकत्ता के गोखले स्मारक कन्या पाठशाला में अध्यापन का कार्य किया था।
एक मुस्लिम से विवाह
इलाहाबाद में अरूणा गांगुली की भेंट एक युवक एम. आसफ अली से हुई। एम. आसफ अली उन दिनों कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य कर रहे थे। कुछ ही दिनों में अरूणा आसफ का परिचय प्रेम में परिवर्तित हो गया। दोनों ने एक दूसरे से विवाह करने का निश्चय कर लिया। हालांकि अरूणा ब्राह्मण परिवार से तथा आसफ अली मुस्लिम समुदाय से थे। उन दिनों धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने इन दोनों युवाओं के प्रेम-परिणय का विरोध किया। परन्तु दृढ़ निश्चयी अरूणा आसफ ने संसार के बन्धनों और समाज की परवाह किए बिना एक दूसरे से अन्तरजातीय विवाह कर लिया। उन दिनों अरूणा की उम्र उन्नीस वर्ष की थी। अब अरूणा गांगुली बन गयीं श्रीमती अरूणा आसफ अली। विवाह के पश्चात अरूणा जी अपने पति के साथ दिल्ली आ गयीं। उनका कार्य क्षेत्र दिल्ली बन गया।
सरस्वती भवन
उन दिनों देश में लड़कियों की शिक्षा को हेय दृष्टि से देखा जाता था। परन्तु स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अरूणा जी ने दिल्ली में सरस्वती भवन की स्थापना की। यहाँ समाज की दलित, असहाय, विधवा, निर्धन, बेसहारा लड़कियों और हिलाओं को निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। यहीं नहीं दिल्ली स्थिति लेड़ी इरविन कालेज, जो आज महिलाओं का प्रतिष्ठित कालेज माना जाता है, की स्थापना अरूणा आसफ अली ने ही की थी। इसके अतिरिक्त आप अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की प्रमुख थीं।
यह भी पढ़ें:-
तरूणी अरूणा जेल में
बात सन् 1930 की है। उन दिनों हमारे देश में महिलाओं का कार्य क्षेत्र घर की चाहरदीवारी माना जाता था। ऐसे में अरूणा जी देश में महिलाओं के उत्थान, कल्याण के लिए निरन्तर संघर्षरत थीं। अरूणा जी ने 1930 के झण्डा आन्दोलन में सक्रिय भूमिका ही नहीं निभाई, बल्कि उसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेने के कारण, अरूणा जी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें एक वर्ष के कारावास की सजा सुनायी गयी थी। 1932 में गाँधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया। अरूणा जी के हृदय में देशप्रेम का तूफान था। आपने सत्याग्रह आन्दोलन में सक्रिय भूमिका अदा की । परिणाम वही हुआ जिसकी उम्मीद थी। अंग्रेज सरकार ने अरूणा जी को गिरफ्तार कर छह माह के कारावास की सजा दी।
अभी अरूणा जी जेल की सजा काट कर बाहर ही आयी थीं कि गांधी जी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारम्भ कर दिया। अरूणा जी गांधी जी के व्यक्तिगत सत्याग्रह में शामिल हो गयीं। सरकार को यह बात पुनः नागवार लगी। इस बार भी अरूणा जी को गिरफ्तार कर एक वर्ष के कारावास की सजा हुई।
अगस्त क्रान्ति मैदान में ध्वजारोहण
9 अगस्त, 1942 का दिन था। आज अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति का सम्मेलन गवालिया टैंक पर आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में कांग्रेस महासमिति ने 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' का प्रस्ताव पारित किया था। गवालिया टैंक को आजकल अगस्त क्रान्ति मैदान कहा जाता है। गवालिया टैंक के चप्पे-चप्पे पर फिरंगी सरकार के सिपाहियों का पहरा था। गवालिया टैंक के ध्वज स्तम्भ तक कोई परिन्दा भी पर नहीं मार सकता था। ऐसे में अंग्रेज सिपाहियों की आंखों में धूल झोंकते हुए एक दुबली पतली सिंहिनी भीड़ से निकली और गवालिया टैंक के ध्वज स्तम्भ पर भारत के गौरव का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। फिर क्या था? पूरे देश में अंग्रेजो भारत छोड़ो की लहर गूंज उठी।
एक साधारण सी दिखने वाली भारतीय नारी के इस असाधारण कार्य से अंग्रेज सरकार भौचक्की रह गयी। उसने अरूणा जी को गिरफ्तार करने के वारण्ट जारी कर दिए। यही नहीं अरूणा जी को गिरफ्तार करने के लिए अंग्रेज सरकार ने पाँच हजार रूपये के इनाम की घोषणा भी की थी।
देखते ही देखते अरूणा जी भूमिगत हो गयीं। अंग्रेजी गुप्तचर विभाग की लाख कोशिशों के बाबजूद अंग्रेज सरकार अरूणा जी को गिरफ्तार नहीं कर सकी। अरूणा जी को गिरफ्तार करने का यह हुक्मनामा 9 अगस्त 1942 को जारी किया गया था तथा यह आदेश 26 जनवरी, 1946 तक जारी रहा। 1946 में सरकार ने अरूणा जी की गिरफ्तारी का आदेश वापस ले लिया। गिरफ्तारी का आदेश वापस लिए जाने के उपरान्त अरूणा जी पुनः प्रकट हुईं। अरूणा जी का कलकत्ता, दिल्ली आदि में गर्मजोशी से स्वागत किया गया । 1947 में देश आजाद हो गया।
आजादी के बाद अरूणा जी-1947 में देश की आजादी के बाद अरूणा जी को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की समस्या को दूर करने के लिए आपने दिनरात एक कर दिया। परन्तु कुछ समयोपरान्त सरकार की आर्थिक नीतियों से असन्तुष्ट होकर अरूणा जी ने कांग्रेस पार्टी से हमारे भारत रत्न त्यागपत्र दे दिया। अब आप आचार्य नरेन्द्र देव की सोसलिस्ट पार्टी में शामिल हो गयीं। 1950 में अरूणा जी ने वामपंथी सोसलिस्ट पार्टी का गठन किया। 1958 में अरूणा जी को दिल्ली का महापौर चुना गया।
सम्मान एवं पुरस्कार
भारत-रूस के बीच मैत्री सम्बंध बढ़ाने के लिए किए गए अरूणा जी के प्रयासों के सम्मान स्वरूप अरूणा जी को 'लेनिन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। अरूणा जी द्वारा विश्वशान्ति और सद्भावना के लिए किए गए प्रयासों को देखते हुए अरूणा जी को 1992 में अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव के लिए 'जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार' दिया गया। 1992 में ही आपको ‘पद्म विभूषण' के नागरिक सम्मान से विभूषित किया गया।
भारत रत्न
अरूणा जी के भारतीय राजनीति, विश्वशान्ति, राष्ट्रीय एकता, साम्प्रदायिक सद्भाव, समाजसेवा, जनकल्याण और महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 24 जुलाई 1997 को अरूणा जी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से (मरणोपरान्त) अलंकृत किया। अरूणा जी को यह सम्मान राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अपने कार्यकाल के अन्तिम दिन प्रदान किया था।
निधन
भारत की रत्न, बीरांगना, अरूणा आसफ अली का 29 जुलाई 1996 को सांय चार बजे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। अरूणा की महायात्रा चल पड़ी अन्तिम प्रयाण की ओर। उनके निधन पर सारा देश स्तब्ध रह गया ।
Tag- श्रीमती अरुणा आसफ अली जीवनी, श्रीमती अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय, श्रीमती अरुणा आसफ अली बायोग्राफी, Aruna Asaf Ali Biography in Hindi, Aruna Asaf Ali ki jivani,Aruna Asaf Ali ka jeevan parichay, Essay on Aruna Asaf Ali in Hindi, Biography of Aruna Asaf Ali in Hindi