राजस्थान की कला और संस्कृति | Rajasthan Art and Culture GK in Hindi

Juhi
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राजस्थान की कला और संस्कृति | Rajasthan Art and Culture GK in Hindi

नमस्कार दोस्तों, Gyani Guru ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में राजस्थान की कला और संस्कृति से संबंधित सामान्य ज्ञान (Rajasthani Art and Culture GK) दिया गया है। इस आर्टिकल में राजस्थानी कला तथा राजस्थानी संस्कृति से संबंधित जानकारी का समावेश है जो अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है। यह लेख राजस्थान पुलिस, पटवारी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, बिजली विभाग इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।


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राजस्थान की कला और संस्कृति | Rajasthan Art and Culture GK in Hindi

कला एवं संस्कृति के प्रमुख संस्थान


संस्थान

केंद्र

रूपायन संस्थान

जोधपुर

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान

जोधपुर

राजस्थान राज्य अभिलेखागार

बीकानेर (मुख्यालय)

राजस्थान कला संस्थान

जयपुर

राजस्थान ललित कला अकादमी

जयपुर

रवीन्द्र रंगमंच

जयपुर

कत्थक कला-केन्द्र

जयपुर

राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

जयपुर

राजस्थान संस्कृत अकादमी

जयपुर

राजस्थानी ब्रजभाषा अकादमी

भरतपुर

गुरु नानक संस्थान

जयपुर

अरबी-फारसी शोध संस्थान

टोंक

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी

जयपुर


राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर


नाम 

स्थान

ब्रह्माजी का मंदिर

पुष्कर

गोविन्ददेवजी का मंदिर

जयपुर

एकलिंग मंदिर

उदयपुर

शिलादेवी का मंदिर

आमेर

लक्ष्मणजी का मंदिर

भरतपुर

नीलकण्ठ महादेव का मंदिर

अलवर, कोटा

महावीरजी का मंदिर

महावीरजी (सवाई माधोपुर)

सम्भवनाथ मंदिर

जैसलमेर

विभीषण मंदिर

कैथून (कोटा)

नवग्रह मंदिर

किशनगढ़

हर्षनाथ मंदिर

सीकर

मल्लीनाथजी का मंदिर

तिलवाड़ा

तैंतीस करोड़ देवता की साल

मण्डोर (जोधपुर)

द्वारकाधीश मंदिर

कांकरोली

देलवाड़ा जैन मंदिर

माउण्ट आबू

सीमल माता का मंदिर

बसन्तगढ़ (सिरोही)

केसरियानाथजी का मंदिर

ऋषभदेव (उदयपुर)

मीराबाई का मंदिर

मेड़ता सिटी व चित्तौड़गढ़

अचलेश्वर महादेव मंदिर

माउण्ट आबू

अष्टपाद मंदिर

जैसलमेर

ऋषभदेव जैन मंदिर

जैसलमेर

सास-बहू मंदिर

नागदा

आशापुरी मंदिर

मोदरान (जालौर)

श्री रंगनाथ जी का मंदिर

पुष्कर

जगदीशजी का मंदिर

उदयपुर

नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर

उन्हेल (झालावाड़)

राणी सती मंदिर

झुंझुनूं

ऋषभदेवजी का मंदिर

धुवेल (उदयपुर)

कलिंजरा जैन मंदिर

कलिजरा (बाँसवाड़ा)

वराह मंदिर

झालरापाटन

कैलादेवी मंदिर

करौली

कपिलदेवजी का मंदिर

कोलायत

अचलनाथजी का मंदिर

जोधपुर

शीतलेश्वर महादेव मंदिर

झालरापाटन

सात सहेलियों का मंदिर

झालरापाटन

भैरुबाग जैन मंदिर

जोधपुर

भूतनाथ मंदिर

जोधपुर

चामुण्डा माता का मंदिर

नीमाज (पाली)

सुगाली माता मंदिर

बिजौलिया

सूर्य मंदिर

आमेर, झालावाड़, तिलवाड़ा

कुंजनाथ स्वामी का मंदिर

देलवाड़ा (सिरोही)

सोमनाथ का मंदिर

पाली

ब्राह्मी माता मंदिर

बारां

श्री गणेश मंदिर

रणथम्भौर

मोती डूंगरी श्रीगणेश मंदिर

जयपुर

रणकपुर जैन मंदिर

रणकपुर (पाली)

बिड़ला मंदिर

जयपुर

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर

बीकानेर

माताजी का मंदिर

ओसियाँ (जोधपुर)

निम्बोरानाथ महादेव मंदिर

पाली

बूढ़ादीत सूर्य मंदिर

बूढ़ादीत (कोटा)

बालाजी मंदिर

मेंहदीपुर (दौसा)

पराहेड़ा शिव मंदिर

पराहेड़पा (बाँसवाड़ा)

राजरणछोड़जी का मंदिर

जोधपुर

कंसुआ शिव मंदिर

कंमुभा (कोटा)

कुंवारी कन्या व रसिया का मंदिर

देलवाड़ा (सिरोही)

ताड़केश्वर मंदिर

जयपुर

कुम्भ-श्याम मंदिर

उदयपुर

छींच का ब्रह्माजी मंदिर

छींच (बाँसवाड़ा)

गंगश्यामजी का मंदिर

जोधपुर

श्री श्यामजी का मंदिर

खाटू श्यामजी (सीकर)

श्री नाथजी मंदिर

नाथद्वारा (राजसमन्द)

नसियाँजी

अजमेर

त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर

तिलवाड़ा (बांसवाड़ा)

गोपीनाथजी का मंदिर

टोडारायसिंह (टोंक)

करणीमाता मंदिर

देशनोक

वाराह देवी का मंदिर

टोडारायसिंह (टोंक)

यह भी पढ़ें:-

राजस्थान की कहावतें 

राजस्थान सामान्य ज्ञान

राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थस्थल


तीर्थस्थल

अवस्थिति

कोलायतजी

कोलायत (बीकानेर)

गलताजी

जयपुर

पुष्करजी

अजमेर

तैंतीस करोड़ देवता साल

मंडोर (जोधपुर)

नाथद्वारा

राजसमन्द

नागेश्वर पार्श्वनाथ

चौमहला (झालावाड़)

नवग्रह मंदिर

किशनगढ़ (अजमेर)

मथुराधीश मंदिर

पाटनपोल (कोटा)

लोहार्गल

सीकर

सालेश्वर महादेव

गुढ़ा प्रतापसिंह (पाली)


राजस्थान के प्रसिद्ध मेले


प्रसिद्ध मेले

स्थान

श्रीगणेश मेला

रणथम्भौर (सवाई माधोपुर)

पुष्कर मेला

पुष्कर (अजमेर)

जम्मेश्वर मेला

मुकाम (बीकानेर)

कोलायत मेला

कोलायत (बीकानेर)

दशहरा मेला

कोटा

महावीर मेला

महावीरजी (सवाई माधोपुर)

राणी सती मेला

झुंझुनूं

कैला देवी मेला

कैला देवी (करौली)

रामदेवरा मेला

रामदेवरा (जैसलमेर)

माता कुण्डलिनी मेला

राशमी (चित्तौड़गढ़)

पाण्डुपोल हनुमान मेला

पाण्डुपोल (अलवर)

सालेश्वर महादेव मेला

गुडा प्रतापसिंह (पाली)

सालासर हनुमान मेला

सालासर (चुरु)

परशुराम महादेव मेला

सादड़ी (पाली)

गोगामेड़ी मेला

गोगामेड़ी (हनुमानगढ़)

बेणेश्वर मेला

बेणेश्वर (डूंगरपुर)

तीज मेला

जयपुर

दादूजी का मेला

नरायणा (जयपुर)

गणगौर मेला

जयपुर

चामुण्डा माता मेला

जोधपुर

जसनाथजी का मेला

कतरियासर (बीकानेर)

लाल दासजी का मेला

धोलीदूब (अलवर)

शीतला माता मेला

चाकसू (जयपुर)

गोतमेश्वर मेला

गोतमेश्वर

भर्तृहरि मेला

भर्तृहरि (अलवर)

मातृकुण्डिया मेला

हरनाथपुरा

करणीमाता मेला

देशनोक (बीकानेर)

घोटियाआम्बा मेला

बुड़वा (बाँसवाड़ा)

सारणेश्वर महादेव मेला

सिरोही

डोल मेला

बारां

केसरियानाथ का मेला

धुलेव (उदयपुर)

ऋषभदेवजी का मेला

ऋषभदेव

चार भुजा मेला

चार भुजा (उदयपुर)

बोरेश्वर मेला

बोरेश्वर

देवजी का मेला

आसीन्द (भीलवाड़ा)

सोनाण खेतला मेला

सारंगवास

बादशाह मेला

ब्यावर (अजमेर)

शाकम्भरी माता मेला

शाकम्भरी

अन्देश्वर पार्श्वनाथ मेला

अन्देश्वर

बुड्ढाजोहड़ मेला

बुड्ढाजोहड़ (श्रीगंगानगर)

निम्बोकानाथ मेला

निम्बोकानाथ (डूंगरपुर)

पदमपुरा मेला

पदमपुरा (जयपुर)

साहवा सिख मेला

साहवा (चूरू)

मचकुण्ड मेला

मचकुण्ड (घोलपुर)

कल्याणजी का मेला

डिग्गी टोंक

बाणगंगा मेला

बैराठ (जयपुर)

त्रिपुरा सुन्दरी मेला

तलवाड़ा (बाँसवाड़ा)

घुस्मेश्वर का मेला

शिवाड़ (सवाई माधोपुर)

जीण माता का मेला

रेवासा (सीकर)

खेजड़ली मेला

खेजड़ली (जोधपुर)

यह भी पढ़ें:-

राजस्थान में प्रमुख साहित्यिक संस्थान


राजस्थान साहित्य अकादमी

उदयपुर

राजस्थान संस्कृत अकादमी

जयपुर

राजस्थान सिन्धी अकादमी

जयपुर

राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

जयपुर

राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी

बीकानेर


राजस्थान में रचित प्रमुख संगीत-ग्रन्थ


ग्रन्थ

प्रणेता

सतसई

बिहारी

हस्तकार रत्नावली

(मिर्जा राजा जयसिंह के काल में)

स्वर सागर

उस्ताद चाँद खाँ

रामचन्द्रिका

देवर्षि भट्ट

राधा गोविन्द संगीतकार

देवर्षि भट्ट ब्रजपाल

राय रत्नाकर, संगीत रत्नाकर

कवि राधाकृष्ण

संगीत राग कल्पद्रुम

हीरानन्द व्यास

राग-रागिनी संग्रह

पं. मधुसूदन सरस्वती


राजस्थान के प्रमुख पशु मेले


पशु मेला

स्थान, जिला

मल्लीनाथ पशु मेला

तिलवाड़ा, बाड़मेर

गोमती सागर पशु मेला

झालरापाटन, झालावाड़

बलदेव पशु मेला

मेड़ता सिटी, नागौर

तेजाजी पशु मेला

परबतसर, नागौर

चित्तौड़गढ़ पशु मेला

चित्तौड़गढ़, चित्तौड़गढ़

जसवन्त पशु

भरतपुर, भरतपुर

पुष्कर पशु मेला

पुष्कर, अजमेर

चन्द्रभागा पशु मेला

झालरापाटन, झालावाड़

रामदेव पशु मेला

नागौर, नागौर


राजस्थान के मेलों से संबंधित कुछ तथ्य


राजस्थान का सबसे रंगीन मेला

पुष्कर मेला

हाड़ौती का सबसे बड़ा मेला

सीताबाड़ी का मेला

जैनियों का सबसे बड़ा मेला

महावीरजी का मेला

हिन्दू-जैन सद्भाव का मेला

ऋषभदेवजी का मेला

मुस्लिमों का सबसे बड़ा मेला

ख्वाजा साहब का उर्स

मत्स्य प्रदेश का सबसे बड़ा मेला

भर्तृहरि मेला

सिखों का सबसे बड़ा मेला

साहवा

साम्प्रदायिक सद्भाव का सबसे बड़ा मेला

रामदेवरा मेला

आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला

बेणे

हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव के मेले

ख्वाजा साहब का उर्स (अजमेर), गोगामेड़ी मेला (हनुमानगढ़), पीर का उर्स (जालौर), लालदास जी का मेला (अलवर)

मेरवाड़ा का सबसे बड़ा मेला 

पुष्कर

आय की दृष्टि से सबसे बड़ा पशु मेला

वीर तेजाजी

जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला

कोलायतजी का मेला

वृक्षों से सम्बन्धित विश्व का एकमात्र मेला

खेजड़ली मेला


राजस्थान के संगीत घराने एवं संगीतकार


घराना

प्रसिद्ध कलाकार

डागर घराना

बाबा बहरामखाँ डागर, उस्ताद अलाबन्दे खाँ, जाकिरुद्दीन खाँ, जियाउद्दीन खाँ, फहीमुद्दीन खाँ, फैयाजुद्दीन खाँ,  हीम खाँ, इमामुद्दीन खाँ, जियामोइनुद्दीन खाँ, फरीदुद्दीन खाँ, जहीरुद्दीन खाँ, सईदुद्दीन खाँ, वासिफुद्दीन खाँ,  क्ष्मण भट्ट, मधुतैलंग भट्ट।

कत्थक नृत्य का जयपुर घराना

पं. मोहनलाल, चिरंजीलाल, नारायण प्रसाद, सुन्दर प्रसाद, जयलाल, दुर्गाप्रसाद, पं. चरण गिरधर चाँद, राजेन्द्र  गानी, प्रेरणा श्रीमाली।

गायन का मेवाती घराना

उस्ताद नजीर खाँ शौकिया, नाथूलाल, मोतीराम, ज्योतिराम, पं. जसराज, पं. मणिराम, पं. प्रताप नारायण।

प्रसिद्ध संगीतज्ञ

शिवशंकर पाण्डे, लीलावती अडसुले, पं. ब्रह्मानन्द गोस्वामी, चन्द्रकला भट्ट,(जयपुर), मूसलगांवकर, पूसालाल पंवार, हुक्मदास, बी.एन. क्षीरसागर, आसकरण शर्मा, (जोधपुर), जयचन्द शर्मा, डॉ. मुरारी शर्मा (बीकानेर), गोविन्ददास राजुरकर (अजमेर), देवदत्त नादमूर्ति (उदयपुर)।

सितार, सरोद, गिटार वादक

उस्ताद अली अकबर खाँ (सरोद), रमजान खाँ और पत्ती खाँ (सारंगी), शशिमोहन भट्ट, प्रताप सिंह चौहान, विश्व  हन भट्ट (जयपुर), दामोदरलाल काबरा, बृजभूषण काबरा, रामलाल माथुर, सूरजनारायण पुरोहित (जोधपुर), रघुवीर शरण (अलवर), आर.डी. वर्मा (वनस्थली), जसकरण गोस्वामी (बीकानेर)।

तबला वादक

अब्दुल हाफिज खाँ, पं. चतुरलाल (उदयपुर), शम्भू दयाल पंवार, किशोर पंवार (जोधपुर), इन्द्रनारायण माथुर (अजमेर), ठा. किशन सिंह (अलवर)।

पखावज वादक

पं. पुरुषोत्तम दास पखावजी।


राजस्थान में चित्रकला के प्रमुख संग्रहालय


सरस्वती भण्डार

उदयपुर

पोथीखाना

जयपुर

जैन भण्डार

जैसलमेर

पुस्तक प्रकाश

जोधपुर

अलवर संग्रहालय

अलवर

कोटा संग्रहालय

कोटा

यह भी पढ़ें:-

राजस्थानी चित्रकला की प्रमुख शैलियाँ और विशेषताएं


शैली

विशेषताएँ

मेवाड़ शैली

राजस्थानी चित्रकला का प्रारम्भिक व मौलिक रूपअजन्ता परम्परा और स्थानीय विशेषताओं का सामंजस्य। बाद में मुगली विशेषताओं का समावेश। चमकीले पीले रंग व लाख के लाल रंग की प्रधानता। लम्बी नाक, गोल चेहरे, छोटा कद व मीनाक्षी आँखें मुगल प्रभाव युक्त गुंबजदार मकान व वेशभूषा। उदाहरण-'आवक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि' ग्रन्थ (1261 ई.), नेशनल म्यूजियम की 'रागमाला' बीकानेर की 'रसिकप्रिया' आदि। पुरुषों के वीरत्व व शिकार के चित्रण।

मारवाड़ शैली

लाल, पीले व सुनहरे रंग का प्रयोग। गठीले आकार के स्त्री व पुरुष और ऊँची पगड़ी। 'उत्तराध्यानसूत्र' का चित्रण (1591 ई.)। भक्तिरस व शृंगार रस का चित्रण, यथा-नाथ चरित्र, भागवत, शुकनासिका चरित्र, पंचतन्त्र आदि।

बीकानेर शैली

मारवाड़ शैली से सम्बद्ध। पीला रंग, कौआ, चील, ऊँट आदि का चित्रण। रामलाल, अलीरजा, हसन आदि प्रमुख कलाकार।

बूँदी शैली

नुकीली नाक, मोटे गाल, छोटा कद, लाल, पीले, सुनहरे रंग की प्रचुरता। मुगल शैली का प्रभाव। नायिका के स्नान चित्र की बूंदी पेन्टिंग प्रसिद्ध है। खजूर के वृक्ष, बत्तख, हिरण आदि।

नाथद्वारा शैली

इस शैली का प्रारम्भ सन् 1671 में हुआ जब यहाँ ब्रज से श्रीनाथ जी की मूर्ति आयी। इसी के साथ यहाँ ब्रजवासी चित्रकार भी आये। यहाँ के चित्रों के सृजन में मौलिक आधार श्रीनाथ जी के प्राकट्य, आचार्यों के दैनिक जीवन, कृष्ण लीला आदि हैं। चित्रों में गाय और आँखें हिरण के समान बनायी जाती हैं।

जयपुर शैली

मुगल शैली से अत्यधिक प्रभावित। रास-मण्डल बारामासा, गोवर्धन-धारण, गोवर्धन पूजा आदि चित्र उल्लेखनीय हैं। हरे रंग का प्रयोग, पीपल का वृक्ष व मोर आदि का चित्रण।

किशनगढ़ शैली

रोचक, आकर्षक व सुन्दर चित्र। कला, प्रेम और भक्ति का सर्वांगीण सामंजस्य। वैष्णव सम्प्रदाय से प्रभावित।  लाबी रंग, केले के वृक्ष, कमान तथा लम्बे चेहरे, लम्बा कद, नुकीली नाक। गोदोला तालाब, किशनगढ़ नगर का दूर से चित्रण एक महत्त्वपूर्ण विशेषता। प्रमुख चित्र बणी-ठणी, राधा-कृष्ण आदि। निहालचन्द प्रमुख कलाकार थे।


राजस्थान के संग्रहालय


संग्रहालय

वस्तुएँ

राजकीय संग्रहालय, जयपुर

लघुचित्र, कालीन, नक्काशीदार पीतल की ढालें।

राजकीय संग्रहालय, हवामहल, जयपुर

प्रतिमाएँ, सिक्के आदि।

सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय, जयपुर

चित्र, लघुचित्र, ईरानी व भारतीय कालीन, अस्त्र-शस्त्र, पोशाकें।

राजकीय कलादीर्घा, जलेब चौक, आमेर

आमेर का ऐतिहासिक परिदृश्य।

राजकीय संग्रहालय, विराटनगर

उत्खनन एवं सर्वेक्षण से प्राप्त पुरा सामग्री।

राजकीय संग्रहालय, अलवर

चित्र, हस्तलिखित ग्रन्थ, लघुचित्र, प्रतिमाएँ और अस्त्र-शस्त्र।

राजकीय संग्रहालय, भरतपुर

भरतपुर क्षेत्र से मिली प्रतिमाएँ, अस्त्र-शस्त्र।

राजकीय संग्रहालय, अजमेर

प्रस्तर प्रतिमाएँ, अभिलेख एवं सिक्के।

राजकीय संग्रहालय, उदयपुर

उदयपुर शैली के लघुचित्र, प्रतिमाएँ, सिक्के, अभिलेख तथा अस्त्र-शस्त्र।

लोक कला मण्डल संग्रहालय,

कठपुतली एवं लोक कला सामग्री।

सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर

उदयपुर महाराणाओं व सरदारों के दरबार, शिकार तथा पोट्रेट चित्र।

राजकीय संग्रहालय, आहाड़, उदयपुर

आहाड़ की खुदाई से मिली पुरावस्तुएँ।

राजकीय संग्रहालय, चित्तौड़गढ़

प्रतिमाएँ, सिक्के एवं लघुचित्र।

राजकीय संग्रहालय, डूंगरपुर

प्रतिमाएँ।

राजकीय संग्रहालय, कोटा

प्रतिमाएँ, सिक्के एवं लघुचित्र।

महाराव माधोसिंह संग्रहालय, कोटा

लघुचित्र, अस्त्र-शस्त्र, पोशाकें, ज्योतिष संबंधी यन्त्र।

राजकीय संग्रहालय, झालावाड़

पुरानी मूर्तियाँ, सिक्के एवं लघुचित्र।

राजकीय संग्रहालय, जोधपुर

प्रतिमाएं, लघुचित्र, सिक्के, कला-कौशल की वस्तुएँ।

राजकीय संग्रहालय, मंडोर, जोधपुर

प्रतिमाएँ।

मेहरानगढ़ संग्रहालय, जोधपुर

लघुचित्र, अस्त्र-शस्त्र, राजसी पोशाकें, झूले, पालकी तथा शाही डेरे-तम्बू।

राजकीय संग्रहालय, पाली

प्रतिमाएँ, सिक्के।

राजकीय संग्रहालय, माउण्ट आबू

प्रतिमाएँ, सिक्के।

राजकीय संग्रहालय, बीकानेर

रंगमहल, बडोपल से प्राप्त मृण्मूर्तियाँ तथा ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुएँ।

लालगढ़ एवं जूनागढ़ संग्रहालय, बीकानेर

अस्त्र-शस्त्र तथा कन्नौज का सिंहासन।

प्राच्य विद्या संग्रहालय, गंगवाल पार्क, जयपुर

हस्तलिखित ग्रन्थ, प्रतिमाएँ, सिक्के।

राजकीय संग्रहालय, दलाराम बाग, आमेर, जयपुर

आबानेरी आदि प्राचीन स्थलों से प्राप्त प्रतिमाएँ, उत्खनन से प्राप्त मृदुभाण्ड एवं मृणमूर्तियाँ।

राजकीय संग्रहालय, जैसलमेर

मूर्तियाँ तथा मरु क्षेत्र   सांस्कृतिक झाँकी।

बिड़ला संग्रहालय, पिलानी

ज्ञान-विज्ञान की वस्तुएँ।

जवाहर कला केन्द्र, जयपुर

नृत्य, संगीत, नाट्यविधाओं के साथ चित्र, मूर्तिशिल्प और अन्य शृंगारिक कलाओं से सम्बन्धित कृतियाँ।

राजस्थान ललित कला अकादमी, जयपुर

आधुनिक कला के राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकारों के चित्रों का संग्रह।

सरदार संग्रहालय, जोधपुर

पाषाण प्रतिमाएं, चित्र, अस्त्र-शस्त्र, हाथी-दाँत एवं ऊंट के चमड़े से निर्मित कलाकृतियाँ।

श्री रामचरण प्राच्य विद्यापीठ एवं संग्रहालय, जयपुर

प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थ, एवं विशिष्ट कलाकृतियाँ।

लोक संस्कृति शोध संस्थान संग्रहालय, चुरु

प्राचीन मूर्तियाँ, सिक्के, ताड़पत्रीय प्रतियाँ, हस्तलिखित पुस्तकें, प्राचीन लेखा-बहियाँ, महत्त्वपूर्ण स्थलों एवं  हापुरुषों के चित्र।

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, रामनिवास उद्यान, जयपुर

जीव-जन्तुओं, पक्षियों तथा प्राकृतिक संसार की जानकारी देने वाला संग्रहालय।

कालीबंगा संग्रहालय, कालीबंगा, हनुमानगढ़

कालीबंगा उत्खनन से प्राप्त सामग्री।

जनजाति संग्रहालय, मा.व. जनजाति शोध संस्थान, उदयपुर

जनजाति लोक कला एवं संस्कृति, चित्र एवं वस्त्राभूषण।

उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय, जोधपुर

मारवाड़ रियासत का इतिहास, साहित्य कला, विभिन्न देशों से संबंध की स्मृतियाँ और राजपूत शैली के चित्र।

नाहटा संग्रहालय, सरदारशहर, चुरु

कलाकृतियाँ, विशेषकर चन्दन और हाथी-दाँत पर उत्कीर्ण।

आबू संग्रहालय, माउण्ट आबू

पुरातात्विक महत्त्व की प्रतिमाएँ और कलात्मक सामग्री।

झालावाड़ संग्रहालय, झालावाड़

कलाकृतियाँ, शिलालेख, प्रतिमाएँ, हस्तलिखित ग्रन्थ, पुरातात्विक महत्त्व के चित्र।

राव माधोसिंह ट्रस्ट संग्रहालय, कोटा

हाड़ौती अंचल की कला, संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर की वस्तुएँ।

जैसलमेर दुर्ग संग्रहालय, जैसलमेर

राजपूताना की रियासतों से सम्बन्धित स्टाम्प, डाक टिकट एवं पालकिया।


राजस्थानी चित्रकला का वर्गीकरण


1. भित्ति एवं भूमि चित्र

(अ) अकारद् चित्र-ऐसे चित्रों को मुख्य रूप से आदिवासी जातियों द्वारा अपनाया गया है, देवरा व पथवारी पर।

(ब) अमूर्त, सांकेतिक व ज्यामितीय अलंकरण–साँझी पूजन व मांडणा, ये आँगन, चबूतरे, चौक व पूजा स्थल पर बनाए जाते हैं। माँडणों के आकार अनिश्चित हैं। ये ज्यामितीय वृत्त, वर्ग या आड़ी तिरछी रेखाओं के रूप में हो सकते हैं।


2. कपड़े पर निर्मित—इसमें छींपा जाति के जोशी, ज्योतिषी, चितेरों द्वारा जिस कपड़े पर चित्रांकन किया जाता है, 'फड़' कहलाते हैं। लोक देवता व लोकनायकों की 'माड़' प्रचलित हैं। यह कला भीलवाड़ा व शाहपुरा में प्रचलित है।


3. कागज पर चित्र- कागज पर जो चित्र बनाए जाते हैं, उन्हें 'पानें' कहा जाता है। इनमें श्रीगणेश, माँ लक्ष्मी, गोगाजी, रामदेवजी व श्रीनाथजी आदि के पाने प्रसिद्ध हैं।


4. लकड़ी पर निर्मित चित्र-कावड़, चोकरी, हिन्डोला, विमान व मोर चोपड़ा इस कला के महत्वपूर्ण नमूने हैं। खैराडी, खाती व सुथार राजस्थान में इस कला को विकसित कर रहे हैं। भीलवाड़ा से कुछ दूरी पर बस्सी गाँव इस के लिए प्रसिद्ध है।


5. पक्की मिट्टी पर चित्र-पक्की मिट्टी पर चित्र बनाने की कला राजस्थान में प्राचीनकाल से रही है, इसमें लोक देवों, देवियों, मिट्टी के बर्तन व मिट्टी के खिलौनों पर लाल, सिन्दूरी, पीला, फिरोजा, नीला, सफेद, लाल रंग की खड़िया द्वारा चित्रकारिता की जाती है। उदयपुर जिले के मोलेला गाँव में मूर्तियाँ बनाई व उन पर चित्रकारी की जाती है।


6. मानव शरीर पर निर्मित चित्र-इस चित्रकला में मेंहदी' व 'गुदना' मुख्य रूप से प्रचलित है। मेंहदी का प्रयोग शुभ अवसरों व त्यौहारों पर किया जाता है। गुदना में स्त्रियाँ अपने हाथों पर नाम बेल, बूंटे आदि अंकित करवाती हैं।


राजस्थानी चित्रकला की विशेषताएँ


1. लोक जीवन का सानिध्य- राजस्थानी चित्रकला मुख्य रूप से सादगी, सरलता, रंगों की अतहड़ता व विषय-विस्तु चयन लोक जीवन पर ही आधारित हैं।

2. विषय-वस्तु की विविधता - राजस्थानी चित्रकारी में महाभारत पुराणकाल से आधुनिक जीवन तक के सभी चित्र परिलक्षित

3. रस प्रधान- राजस्थानी चित्रकला में मुख्यतः भक्ति व शृंगार रस के साथ करुण रस का भी सजीव चित्रण देखा जा सकता है।

4. रंगात्मकता- राजस्थानी चित्रकला में लाल, पीला, श्वेत, हरा आदि रंगों का प्रयोग किया गया है, जो चमकीले व दीप्तिमान हैं।

5. प्राकृतिक परिवेश की अनुरूपता- इसमें प्राकृतिक दृश्यों का बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रण हुआ है। इसमें पेड़-पौधे, मेघ, कमल, फूल-पत्तियों आदि का सुंदर चित्रण हुआ है।

6. स्त्री सुंदरता- रागमाला बारहमासा में स्त्री पात्रों का सुंदर अंकन किया गया है।


राज्य की लोक चित्रकला


1. पथवारी– गाँवों में पथरक्षक रूप से पूजा जाने वाला स्थल जिस पर चित्र बने होते हैं।

2. पाना- राजस्थान में कागज पर बने देवी-देवताओं के चित्रों को 'पाना' कहा जाता है।

3. माँडणा- यह लोक चित्रकला की एक परम्परा है। पांडणा प्रायः सभी त्यौहारों एवं मांगलिक अवसरों पर पूजा-स्थल अथवा चौक पर बनाया जाता है।

4. फड़- कपड़े पर किए गए चित्रांकन को 'फड़' कहा जाता है।

5. गुदना- इस लोक कला में शरीर पर नाम, बेल व बूटे आदि खुदवाये जाते हैं।

6. साँझी- यह गोबर से आँगन, पूजा स्थल अथवा चबूतरे  पर बनाई जाती है।

7. कावड़- यह मंदिर जैसी काष्ठ कलाकृति होती है।


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3 Comments
  1. Thanks mam for this knowledge

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    1. धन्यवाद, हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे

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